Thursday 16 January 2014

मेरे कुछ व्यंग्य पगे दोहे

न्योला बीन बजा रहा ,मस्त सर्प दुलराय |
गठबंधन को देखकर ,भैंस खड़ी पगुराय ||

पैर दवाये मास्टर ,पञ्च ...बड़ा रंगवाज़ |
पंचायत खुद खींचती ,फिरे द्रोपदी-लाज||

नारे गूंगे हो गये ,.........पंगु हुए सन्देश |
नीम-हकीमो से घिरा ,रोगग्रस्त परिवेश ||

झंडे-झंडे दल बने ...........,डंडे-डंडे हाथ |
पंडे-पंडे नीतियां,कौन ...निभाये साथ ||

सत्ता की हर दाल पर,बैठे शातिर लोग|
देश-भक्ति पेशा बनी,घोटालों का रोग||

@@@@@@@@@@@@@@@@ दिनेश रस्तोगी

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