(१)
अहोभाग्य !जो नेता-दर्शन
पाये हैं |
लगता है चुनाव के बादल छाये
हैं ||
आगे सारे पूंछ- हिल्लैया, हाँ
भैया ,
पीछे छुटभइये,झंडे
लहराये हैं |
चेहरे से अश्लील किन्तु
मुस्कान मधुर,
गर्दन पर भारीभरकम
मालायें हैं |
दहशत का पर्याय हमारी बस्ती में,
सत्य –अहिंसा का संदेशा
लाये हैं |
खादी और खाकी,दोनों के दोनों ,
लोकतंत्र की दौलत
खा,मुस्काये हैं |
त्याग भुनाया जिनने अमर
शहीदों का ,
उन्होंने अपने मेले
लगबाये हैं |
(२)
कार्यालय रोज अब भाता नहीं
|
सूखे वेतन में मज़ा आता नहीं
||
नेतागीरी चल पड़ी है हार
कहीं ,
बिना पौए के कोई आता नहीं |
वीबी और बच्चे मिलाकर सात
हैं,
बेरहम कोई तरस खाता नहीं |
सेटिंग में रोड़ा पड़ा कोई
जरूर ,
ऐसे कोई फाइल लटकाता नहीं |
फीस डोनेशन मिलाकार तीन लाख
,
पुत्र यूँ स्कूल को
जाता नहीं |
*दिनेश रस्तोगी
८-बी ,अभिरूप ;साउथ
सिटी ;शाहजहांपुर -२४२२२६
मो .०९४५०४१४४७३
सुदर प्रस्तुति...
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