Tuesday 21 January 2014

व्यंगज़ल

कैसा वो फादर-इन-ला !
कहता मुझसे ला भई ला ||
---------------------------खाली पॉकेट हूँ रखता ,
----------------------------पॉकेट मारू मोहल्ला |
किसने छेड़ा था .....उसको !
किस पर बोल दिया हल्ला !!
------------------------------लल्लू ने भांजी लाठी ,
---------------------------किसका फूटेगा कल्ला !!
जिसके पहलू में था वो ,
उसने झड लिया पल्ला |
---------------------------कविता तेरी है झपसट ,
---------------------------शानदार है दुमछल्ला |
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@दिनेश रस्तोगी

Sunday 19 January 2014

मौसम के हाल

मित्रों!
नमस्कार |
आज मौसम के हाल का कुछ ऐसा ग्राफ है |आसमान ,दिल्ली की विधान सभा में कांग्रेसी सत्ता की तरह साफ़ है |कहीं कहीं "आप" के बिन्नी मार्का बादल |अगले कुछ दिनों में मोदी-गर्जना के साथ ,कांग्रेस पर भारी वारिश की सम्भावना | इससे कांग्रेसी जमीन का तापमान कम होने की बजाय राहुल के थर्मामीटर में कुछ बढ़ेगा |"आप"को भी बिन्नी- कोहरा और मोदी -ओलों की दोहरी मार झेलनी होगी !!इस बार हवा की गति मायावती -सुनामी की तुलना में थोड़ी मुलायम रह सकती है,लेपटॉप की अच्छी फ़सल के बाबजूद ,यू.पी. के अखलेशी तापमान में गिरावट आएगी |
मौसम का हाल समाप्त हुआ |अब मै दिनेश रस्तोगी आपको आम मतदाता के झोपड़ीनुमा स्टूडियो में बापस लिये चलता हूँ !!....
 
(दिनेश रस्तोगी ) 

Thursday 16 January 2014

मेरे कुछ व्यंग्य पगे दोहे

न्योला बीन बजा रहा ,मस्त सर्प दुलराय |
गठबंधन को देखकर ,भैंस खड़ी पगुराय ||

पैर दवाये मास्टर ,पञ्च ...बड़ा रंगवाज़ |
पंचायत खुद खींचती ,फिरे द्रोपदी-लाज||

नारे गूंगे हो गये ,.........पंगु हुए सन्देश |
नीम-हकीमो से घिरा ,रोगग्रस्त परिवेश ||

झंडे-झंडे दल बने ...........,डंडे-डंडे हाथ |
पंडे-पंडे नीतियां,कौन ...निभाये साथ ||

सत्ता की हर दाल पर,बैठे शातिर लोग|
देश-भक्ति पेशा बनी,घोटालों का रोग||

@@@@@@@@@@@@@@@@ दिनेश रस्तोगी

दो व्यंगजलें *दिनेश रस्तोगी

  (१)
अहोभाग्य !जो नेता-दर्शन पाये हैं |
लगता है चुनाव के बादल छाये हैं ||
आगे सारे पूंछ- हिल्लैया, हाँ भैया ,
पीछे छुटभइये,झंडे लहराये    हैं |
चेहरे से अश्लील किन्तु मुस्कान मधुर,
गर्दन पर भारीभरकम मालायें   हैं |
दहशत का पर्याय हमारी  बस्ती में,
सत्य –अहिंसा का संदेशा लाये हैं |
खादी और  खाकी,दोनों के दोनों ,
लोकतंत्र की दौलत खा,मुस्काये हैं |
त्याग भुनाया जिनने अमर शहीदों का ,
उन्होंने अपने मेले लगबाये हैं |
        (२)
कार्यालय रोज अब भाता नहीं |
सूखे वेतन में मज़ा आता नहीं ||
नेतागीरी चल पड़ी है हार कहीं ,
बिना पौए के कोई आता नहीं |
वीबी और बच्चे मिलाकर सात हैं,
बेरहम कोई तरस खाता नहीं |
सेटिंग में रोड़ा पड़ा कोई जरूर ,
ऐसे कोई फाइल लटकाता नहीं |
फीस डोनेशन मिलाकार तीन लाख ,
पुत्र यूँ स्कूल को जाता    नहीं |
                           *दिनेश रस्तोगी
                           ८-बी ,अभिरूप ;साउथ सिटी ;शाहजहांपुर -२४२२२६
                           मो .०९४५०४१४४७३